सिंह पर सवार जो, 

चक्र गदा का प्रहार हो । 

माता जो पूरा ब्रह्माण्ड बनाए, 

वे सदैव कूष्माण्डा कहलाए ।।


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चैत्र नवरात्रि 2020: मां कुष्मांडा की पूजा का दिन, जानिए पूजा विधि, कथा, मंत्र और महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की साधना की जाती है। आज, शनिवार 28 मार्च को मां के इस स्वरुप की पूजा का विधान है। कहते हैं कि जब सृष्टि नहीं थी और चारों तरफ सिर्फ अन्धकार ही अन्धकार था, तब मां दुर्गा के इसी स्वरुप ने हल्की सी मुस्कान बिखेर कर चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश उत्पन्न कर ब्रह्माण्ड की रचना की। इसीलिए मां कूष्माण्डा को आदिस्वरूपा व आदिशक्ति  कहा गया।

मां कूष्माण्डा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्माण्ड कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप को कूष्माण्डा कहा जाता है |

मां कूष्माण्डा का निवास सूर्यमण्डल के अंदर लोक में है। सूर्य के अंदर निवास करने की क्षमता केवल इन्हीं के अंदर है। मां कूष्माण्डा के तेज से चारों दिशाएं दैदीप्यमान हैं। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। नवरात्रि में मां कूष्माण्डा की साधना-आराधना करने पर माता अपने साधक के असाध्य से असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

इस विधि से करें पूजन

नवरात्र में चौथे दिन रोज की भांति सर्वप्रथम कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्माण्डा को हरा रंग अति प्रिय है, इसलिए इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें  कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। यदि कोई लम्बे समय से बीमार है तो मां कूष्माण्डा की विधि-विधान से की गयी पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है। देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। पूजन के पश्चात् मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

माता का मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

मां कूष्माण्डा स्त्रोत पाठ
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।

सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।

भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

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Maa Kushmanda Aarti And Puja Mantra: 


आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों का नाश कर देती हैं। आदिशक्ति मां दुर्गा ने असुरों का दमन करने के लिए कुष्मांडा स्वरूप धारण किया था। मां कूष्मांडा को लाल फूल प्रिय है, पूजा के समय उनको गुड़हल का फूल चढ़ाएं। नवरात्रि के चौथे दिन आपको मां कूष्मांडा को नीचे दिए गए मंत्रों के जाप से प्रसन्न करना चाहिए। पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें, जिससे प्रसन्न होकर मां आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी।

मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा की प्रार्थना


सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा बीज मंत्र


ऐं ह्री देव्यै नम:।

मंत्र


1. सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।

2. ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥

मां ​कूष्मांडा की आरती

Maa Kushmanda Ki Aarti


कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

Chaitra Navratri 2020 Maa Kushmanda:


 आज है चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, जानें मां कूष्मांडा की पूजा ​विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व


चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति के दुखों, ​विपदाओं और कष्टों का अंत हो जाता है। मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन आप मां कूष्मांडा को सफेद कुम्हड़ा अर्पित करें। कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है। मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि प्रिय है। इसके अतिरिक्त उनको दही और हलवे का भोग लगाएं। इसके अतिरिक्त आप मां कूष्मांडा को फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।

धन्यवाद 

 

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