दो कमल जिनके हाथ में,

चार सशस्त्र देवता साथ में।

जो कार्तिकेय को गोद में बैठाए,

 वे स्वयं स्कंदमाता कहलाए।।


👇👇👇👇👇


स्नेह की देवी हैं स्कंदमाता, इनकी आराधना का खास है महत्व


चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, मान्यता है कि यह माता भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरुप मन को मोह लेने वाला होता है। इनकी चार भुजाएं होती हैं, जिससे वो दो हाथों में कमल का फूल थामे दिखती हैं। एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे होते हैं और दूसरे से माता तीर को संभाले दिखती हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम मान से भी जाना जाता है, सिंह इनका वाहन है। शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कन्दमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

स्कंदमाता का स्वरूप


स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय, जो भगवान स्कंद कुमार की माता हैं, वही हैं मां स्कंदमाता। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।

हर कठिनाई दूर करती हैं मां


शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है, सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। ऐस में मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है। इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है।

माता की पूजा से होती है समस्त इच्छाएं पूरी


देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। देवी स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है अर्थात मिश्रित है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी होती है, इसके साथ ही मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं।

स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता


कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है। जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं। स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है।

👇👇👇👇


Skandamata Aarti And Puja Mantra: 


आज चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है। स्कंदमाता सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी गोद में छह मुखों वाले स्कंदकुमार होते हैं। स्कंदमाता की आराधना से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जो लोग संतान की कामना से स्कंदमाता की पूजा करते हैं, उनको संतान सुख प्राप्त होता है। आज के दिन आपको स्कंदमाता की पूजा के समय नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करना चाहिए और स्कंदमाता की आरती विधिपूर्वक करनी चाहिए। ऐसे करने से स्कंदमाता आपके मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। 

स्कंदमाता की स्तुति मंत्र


या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्कंदमाता की प्रार्थना


सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंदमाता बीज मंत्र


ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

मंत्र


1. महाबले महोत्साहे। महाभय विनाशिनी।

त्राहिमाम स्कन्दमाते। शत्रुनाम भयवर्धिनि।।

2. ओम देवी स्कन्दमातायै नमः॥

स्कंदमाता की आरती

Skandamata Ki Aarti


जय तेरी हो स्कंदमाता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता।

सब के मन की जानन हारी।

जग जननी सब की महतारी।

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।

हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा।

कई शहरो में तेरा बसेरा।

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे।

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दास को सदा बचाने आईं

'चमन' की आस पुराने आई।

Chaitra Navratri 2020 Skandamata Puja: 


चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन, जानें मां स्कंदमाता की पूजा ​विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व


स्कंदमाता की पूजा का महत्व


स्कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो नि:संतान दंपत्ति हैं, उनको स्कंदमाता के आशीर्वाद से संतान सुख मिलता है। संकट और शत्रुओं के दमन के लिए भी स्कंदमाता की पूजा करना उत्तम होता है।

आज क्या करें


चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन आपको स्कंदमाता को बताशे का भोग लगाना चाहिए। वहीं, पूजा में कमलगट्टा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा और किसमिस चढ़ाना चाहिए।

धन्यवाद 



 

Post a Comment

THANK YOU FOR COMMENTING

और नया पुराने