मंदिरों से तलाश छोड़ दी हमने,

जब देखा मां ने नाता तो जन्मो का हैं।


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माँ पर कविताएं, Hindi Poems on Mothers, Poem on Mother in Hindi


1. Poem on Mother in Hindi – (माँ की परिभाषा)


हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.


हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर


हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है


हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है.


हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.


हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा है.


Shailesh Lodha


2. माँ पर कविताएं – (बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने)


बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.


उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
जब भी गिरे तो संभाला है माँ ने.


चारों तरफ से हमको थे घेरे,
जालिम बड़े थे मन के अंधेरे.


बैठे हुए थे सब मुंह फेरे,
एक माँ ही थी दीपक मेरे जीवन में.


अंधकार में डूबे हुए थे हम,
किया ऐसे में उजाला है माँ ने.


मिलेगा ना दुनिया में माँ सा कोई,
मेरी आंखें बड़ी तो वो साथ रोई.


बिना उसकी लोरी के न आती थी निंदिया,
जादू सा कर डाला है माँ ने.


बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.


3. Hindi Poems on Mothers – (तू धरती पर ख़ुदा है माँ)


तू धरती पर ख़ुदा है माँ,
पंछी को छाया देती पेड़ों की डाली है तू माँ.


सूरज से रोशन होते चेहरे की लाली है तू,
पौधों को जीवन देती है मिट्टी की क्यारी है तू.


सबसे अलग सबसे जुदा,
माँ सबसे न्यारी है तू.


तू रोशनी का खुदा है माँ,
बंजर धरा पर बारिश की बौछार है तू माँ.


जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू,
ईश्वर का सबसे प्यारा और सुंदर अवतार है तू माँ.


तू फरिश्तों की दुआ है माँ,
तू धरती पर ख़ुदा है माँ.


4. Poem on Mom in Hindi


पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां.


आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा.


खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया.


अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा.


वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी.


ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था.


पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था.


लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है.


चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए.


जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.


जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.


अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.


खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.


5. Maa Kavita

तुम एक गहरी छाव है अगर तो जिंदगी धूप है माँ
धरा पर कब कहां तुझसा कोई स्वरूप है माँ


अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कहां किसने
धरा पर तो तू ही ईश्वर का रूप है माँ, ईश्वर का कोई रुप है माँ


नई ऊंचाई सच्ची है नए आधार सच्चा है
कोई चीज ना है सच्ची ना यह संसार सच्चा है


मगर धरती से अंबर तक युगो से लोग कहते हैं
अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है


जरा सी देर होने पर सब से पूछती माँ,
पलक झपके बिना घर का दरवाजा ताकती माँ


हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना, फिर दुआ देना
मेरे घर लौट आने तक, बराबर जागती है माँ


सुलाने के लिए मुझको, तो खुद ही जागती रही माँ
सहराने देर तक अक्सर, मेरे बैठी रही माँ


मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे.
मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ.


बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी माँ
कमी थी बड़ी पर खुशियाँ जुटाना जानती थी माँ.


मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी बना पाया.
गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ.


Poem on Mother in Hindi, माँ पर कविताएं, Hindi Poems on Mothers, Poem on Mom in Hindi, Maa Kavita.


6. Poem on Mother in Hindi


घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरो पर खड़ा हुआ|
तेरी ममता की छाव मे,
जाने कब बड़ा हुआ|


कला टिका दूध मलाई,
आज भी सब कुछ वेसा है|
में ही में हूँ हर जगह,
प्यार ये तेरा कैसा है?


सीधा साधा भोला भला,
में ही सबसे अच्छा हूँ|
कितना भी हो जाऊ बड़ा,
माँ! आज भी में तेरा बच्चा हूँ|


7. माँ पर कविताएं


हजारो दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ
हमारा बेटा फले और फुले


यही तो मंतर पढ़ती है माँ
हमारे कपड़े कलम और कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ


बना रहे घर बंटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ
रहे सलामत चिराग घर का


यही दुआ बस करती है माँ
बढ़े उदासी मन मे जब जब
बहुत याद मे रहती है माँ

लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है.


चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए.


जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.


जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.


अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.


खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.


5. Maa Kavita

तुम एक गहरी छाव है अगर तो जिंदगी धूप है माँ
धरा पर कब कहां तुझसा कोई स्वरूप है माँ


अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कहां किसने
धरा पर तो तू ही ईश्वर का रूप है माँ, ईश्वर का कोई रुप है माँ


नई ऊंचाई सच्ची है नए आधार सच्चा है
कोई चीज ना है सच्ची ना यह संसार सच्चा है


मगर धरती से अंबर तक युगो से लोग कहते हैं
अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है


जरा सी देर होने पर सब से पूछती माँ,
पलक झपके बिना घर का दरवाजा ताकती माँ


हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना, फिर दुआ देना
मेरे घर लौट आने तक, बराबर जागती है माँ


सुलाने के लिए मुझको, तो खुद ही जागती रही माँ
सहराने देर तक अक्सर, मेरे बैठी रही माँ


मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे.
मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ.


बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी माँ
कमी थी बड़ी पर खुशियाँ जुटाना जानती थी माँ.


मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी बना पाया.
गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ.


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6. Poem on Mother in Hindi


घुटनों से रेंगते-रेंगते,
कब पैरो पर खड़ा हुआ|
तेरी ममता की छाव मे,
जाने कब बड़ा हुआ|


कला टिका दूध मलाई,
आज भी सब कुछ वेसा है|
में ही में हूँ हर जगह,
प्यार ये तेरा कैसा है?


सीधा साधा भोला भला,
में ही सबसे अच्छा हूँ|
कितना भी हो जाऊ बड़ा,
माँ! आज भी में तेरा बच्चा हूँ|


7. माँ पर कविताएं


हजारो दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ
हमारा बेटा फले और फुले


यही तो मंतर पढ़ती है माँ
हमारे कपड़े कलम और कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ


बना रहे घर बंटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ
रहे सलामत चिराग घर का


यही दुआ बस करती है माँ
बढ़े उदासी मन मे जब जब
बहुत याद मे रहती है माँ


नजर का कांटा कहते है सब
जिगर का टुकड़ा कहती है माँ
मेरे हृदय मे हरदम
ईश्वर जैसी रहती है माँ


8. Hindi Poems on Mothers


मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..


माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया,
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया..
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..


दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई..
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई,
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान..
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान..


तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई,
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई..
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…


कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी..
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी,
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण..
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…


‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी,
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी..
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान…


 जगदीश प्रसाद सारस्वत ‘विकल’


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9. Poem on Mom in Hindi


माँ तू एक पेड़ है
तेरी छांव में मैं रहू उम्र भर
तेरी डाली से निकला हु मैं
तुझी से जिंदा हु मैं
कभी सूख जाउ पत्तो सा
फिर भी टूट कर तेरी गोद में रहू
धूप हो बारिश तुझसे लिपट जाउ मैं,
हवा जब मुझे उड़ा ले जाये तुझी में चिपक जाउ मैं,
तेरी जड़ मैं समा जाउ मैं,
तुझसे शुरू हु तुझ ही पर खत्म हो जाउ मैं ,
तेरे आँचल सा फैला है विस्तार तेरा,
मुझमे तू है तुझसे है पूरा सन्सार मेरा ,


माँ तू एक नदी है
तेरा एक कतरा हु मैं,
तुझमे बह रहा हु मैं,
तुझसे कह रहा हु मैं
की ऑक्सीजन हो तुम मेरी
पिता हाइड्रोजन है
तेरी भाप बन जाउ मैं
मिटने के बाद ,
कभी अलग न होउ
तुझमे सिमटने के बाद,
माँ धार का हिस्सा है प्यार तेरा
मुझसे तू तुझमे है पूरा संसार मेरा


श्यामन्जु महावीर


10. Maa Kavita – (मेरे सर्वस्व की पहचान)


मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।


प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।


दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।


देवी नांगरानी


11. माँ पर कविताएं, Hindi Poems on Mothers


मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगा-जल होती हो!


जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर


जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।


व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो


तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो।


पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती


जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो।


हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें


तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो।


जयकृष्ण राय तुषार

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